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श्वास-रोगों से बचाये प्राणायाम योग।
नियमित प्राणायाम श्वसनतंत्र को सुदृढ करते हैं। श्वास रोगों से बचाव करते हैं।
4 महत्वपूर्ण प्राणायाम। ये श्वसन तंत्र के अवरोधो को हटाते हैं। लंग्स को सुदृढ करते है और श्वास रोगों से बचाते है।
1. लंग्स को सुदृढ करे, कपालभाति।
लंग्स को एक्टिव करके, स्वस्थ करने वाला तथा श्वासों को सुदृढ करने वाला प्राणायाम।
विधि, कपालभाति :--
• पद्मासन या सुखासन मे बैठें। हाथ घुटनों पर। आँखे बंध रखें। रीढ को सीधा रखें।
• पेट को अन्दर की ओर दबा कर साँस को झटकते हुये बाहर निकालें। श्वास का भरना सामान्य रखें।
• अपनी क्षमता के अनुसार आवर्तियाँ करे।
(श्वास रोगी चिकित्सक की सलाह से क्रिया को करें।)
• पेट को अन्दर की ओर दबा कर साँस को झटकते हुये बाहर निकालें। श्वास का भरना सामान्य रखें।
• अपनी क्षमता के अनुसार आवर्तियाँ करे।
(श्वास रोगी चिकित्सक की सलाह से क्रिया को करें।)
श्वासो मे सन्तुलन कायम करे। श्वसनतंत्र को सुदृढ करे।
2. अनुलोम विलोम
विधि अनुलोम-विलोम :--
• पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
• बाँया हाथ ज्ञान मुद्रा मे और दाँया हाथ नासिका के पास रखें। रीढ व गर्दन को सीधा रखेंं।
• दाँयी नासिका को बन्ध करके बाँये से श्वास भरें। और बाँयी नासिका बन्ध करके दाँये से श्वास खाली करें।
• दाँये से श्वास भरे और बाँये से खाली करें। यह एक आवर्ति हुई।
• इसी प्रकार पाँच आवर्तियाँ करें।
• बाँया हाथ ज्ञान मुद्रा मे और दाँया हाथ नासिका के पास रखें। रीढ व गर्दन को सीधा रखेंं।
• दाँयी नासिका को बन्ध करके बाँये से श्वास भरें। और बाँयी नासिका बन्ध करके दाँये से श्वास खाली करें।
• दाँये से श्वास भरे और बाँये से खाली करें। यह एक आवर्ति हुई।
• इसी प्रकार पाँच आवर्तियाँ करें।
3. श्वासों की मजबूती-
"कुम्भक प्राणायाम"
"कुम्भक प्राणायाम"
कुम्भक प्राणायाम श्वासो को मजबूती देता है। अवरोधो को दूर करता है।
विधि कुम्भक प्राणायाम :-
• पद्मासन या सुखासन मे बैठेंं। दोनो हाथ ज्ञान मुद्रा में।
• रीढ को सीधा तथा आँखे कोमलता से बंध रखें।
• धीरे-धीरे पूरा श्वास भरें, कुछ देर रुकें और धीरे से श्वास.खाली करे।
• श्वास खाली करने के बाद कुछ देर रुके।
इसी प्रकार अन्य आवर्तियाँ करें।
(इस क्रिया को श्वास रोगी चिकित्सक की सलाह से करें)
• रीढ को सीधा तथा आँखे कोमलता से बंध रखें।
• धीरे-धीरे पूरा श्वास भरें, कुछ देर रुकें और धीरे से श्वास.खाली करे।
• श्वास खाली करने के बाद कुछ देर रुके।
इसी प्रकार अन्य आवर्तियाँ करें।
(इस क्रिया को श्वास रोगी चिकित्सक की सलाह से करें)
4. प्राणिक नाङियों की शुद्धि।
श्वसन रोगो के लिये प्रभावी, प्राणिक नाङियों का शौधन करने वाला प्राणायाम- नाङीशौधन।
विधि नाङीशौधन :--
बाँया हाथ बाँये घुटने पर ज्ञान मुद्रा मे रखें। दाँये हाथ के अंगूठे से दाँयी नासिका बँध करे।बाँयी तरफ से साँस भरें। कुछ देर रुके और दाँयी तरफ से साँस खाली करें। दाँये से साँस भरके कुछ देर रुकें और बाँयी तरफ से साँस खाली करें। ये तीन आवर्तियाँ करें।
सभी प्राणायाम करने के बाद श्वासों को सामान्य करे।
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